बेल क्या होती है? कोर्ट से बेल कैसे लें?

Bail kya hoti hai:-दोस्तों हम जिस समाज में रहते हैं तो समाज में अच्छे, बुरे दोनों प्रकार के लोग रहते हैं। और इस समाज में अपने कई अपराधों को होते हुए देखा होगा। या फिर सुबह अखबार पढ़ते समय कई अपराध की खबरों को भी पड़ा होगा। जो कि कानून के माध्यम से तय होता है। कि किसी भी अपराध में किस प्रकार की सजा या फिर उससे संबंधित प्रक्रिया क्या होगी?

तो आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम इस कानूनी प्रक्रिया में किसी व्यक्ति की रिहाई के लिए उपयोग होने वाली प्रक्रिया बेल के बारे में जानेंगे। कि यदि किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के अपराधित कृत में गिरफ्तार कर लिया जाता है। तो वह व्यक्ति किस प्रकार बिल ले सकता है? इसी से संबंधित कुछ तथ्यों के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से समझेंगे। Bail kya hoti hai? । court se bail kaise le jati hai? । Bail ke bare me jaruri jankari? । court jamanat kaise milti hai?

बेल क्या होती है? | Bail kya hoti hai?

जब किसी व्यक्ति पर किसी भी अपराधिक कृत का आरोप होता है तो ऐसे में न्यायालय से उस व्यक्ति की अस्थाई रूप से जमानत की प्रक्रिया, जिसमें आरोपी पक्ष द्वारा जमानत के लिए कुछ निश्चित धनराशि दी जाए। तो इस प्रक्रिया को बेल कहते है। और जब भी आरोपी पक्ष के द्वारा जमानत के लिए अपील की जाती है।

तो ऐसे में उस पक्ष से किसी एक या दो व्यक्ति को उस शख्स की गारंटी के रूप में रजिस्टर कराया जाता है। बेल होने की प्रक्रिया के पश्चात अपराधिक व्यक्ति को राज्य से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है। और उस व्यक्ति को प्रति माह की एक निश्चित तारीख को हाजिरी लगाने के लिए न्यायालय जाना होता है।

जमानत होने के पश्चात न्यायिक प्रक्रिया के दौरान जब भी पुलिस या फिर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता होती है, तो उस अपराधिक व्यक्ति को उनके समक्ष उपस्थित होना होता है। और ऐसा न होने पर न्यायालय या फिर कानून द्वारा उचित कार्रवाई की जाती है।

जमानत (Bail) कितने प्रकार की होती है? | How many types of bail are there?

भारतीय कानून के आधार पर बेल को कुछ प्रमुख भागों में बांटा गया है जो कि नीचे दी गई है –

साधारण जमानत (Regular Bail)

इस प्रकार की जमानत में गिरफ्तार किए गए आरोपी को, यदि कुछ समय से पुलिस ने अपनी हिरासत में रखा हुआ है। तो ऐसे मामलों में न्यायालय गिरफ्तार किए गए आरोपी को जमानत प्रदान कर देती है। और इस प्रकार की जमानत आईपीसी की धारा 437 और 439 के तहत दी जाती है।

अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail)

इस प्रकार की बेल में जब किसी व्यक्ति पर किसी भी अपराधिक कृत का आरोप होता है। तो ऐसे में वह व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी से पहले बेल ले सकता है। इस प्रकार की बेल में व्यक्ति को उसके पुलिस हिरासत में जाने से पहले ही बेल दी जाती है। यह बेल कोर्ट के माध्यम से दी जाती है और इस प्रकार की जमानत के लिए किसी व्यक्ति सीआरपीसी धारा 338 के तहत जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकता है।

अंतरिम जमानत (Interim Bail)

इस प्रकार की बेल में यदि किसी व्यक्ति ने अपनी जमानत के लिए पहले से ही साधारण बेल या फिर अग्रिम बेल के लिए अपील की हुई है। और इस कार्य में न्यायालय द्वारा ज्यादा समय लग रहा है, तो ऐसे में वह व्यक्ति कुछ समय के लिए अंतिम जमानत (Interim bail) ले सकता है। और इस स्थिति में जो बेल न्यायालय द्वारा कुछ समय के लिए उपलब्ध कराई जाती है, इसी बल को अंतरिम जमानत कहते हैं।

थाने से मिलने बेल ( Bail From Police Station)

कई बार कुछ ऐसे मामले होते हैं- जिनमें आरोपी द्वारा कोई जघन अपराध न किया गया हो और कोई मामूली से अपराध हो जैसे – मारपीट, धामकी देना, गाली देना, दुर्व्यवहार जैसी छोटी सी मोटी अपराध में यदि किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी हो जाती है। तो ऐसे में वह व्यक्ति थाने से जमानत ले सकता है। इस प्रकार के लिए अपराधी द्वारा अपनी गारंटी के रूप में किसी व्यक्ति को प्रस्तुत करना होता है। इसके पश्चात से जमानत दे दी जाती है।

कोर्ट से बेल कैसे ली जाती है? How is bail taken from the court?|

यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार की अपराध में न्यायालय के द्वारा पुलिस हिरासत में है। और वह बेल लेना चाहता है तो ऐसे में न्यायालय के द्वारा बेल लेने की प्रक्रिया कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है। इस प्रकार की प्रक्रिया पहले से सुनिश्चित भी नहीं है, कि जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को बेल मिल जाए। इस प्रकार की मामले में बिल लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को कोई वकील से बात करनी पड़ती है। और वह ही सुनिश्चित करता है। कि वह किस प्रकार कार्रवाई कर उस व्यक्ति को न्यायालय से बिल दिलाएगा।

यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के अपराध में गिरफ्तार किया है। तो उसकी जमानत के लिए हमें एक वकील को उस केस के बारे में बताना होता है। जो की जमानत के लिए अपील कर उस आरोपी को जमानत दिलाने की कोशिश करता है।

यदि न्यायालय को ऐसा प्रतीत होता हो, कि यदि इस व्यक्ति को जमानत दे दी जाए तो उस व्यक्ति के द्वारा इस मामले में किसी भी प्रकार की न्यायिक प्रक्रिया में विघटन उत्पन्न नहीं होगा। तो ऐसे में उसे व्यक्ति को जमानत दे दी जाती है। लेकिन इस प्रकार जमानत के लिए कोई भी प्रक्रिया पहले से बनाई हुई सुनिश्चित नहीं है।

Bail Related FAQ –

भारत में किन अपराधिक कृत में जमानत नहीं मिलती है?

फांसी या फिर उम्र कैद की सजा, यदि किसी व्यक्ति को दी गई है। तो ऐसे में जमानत नहीं मिलती है। लेकिन यदि किसी स्थिति में परिवार कि किसी सदस्य के साथ किसी भी प्रकार की घटना घटित हो जाती है। तो ऐसे में उस व्यक्ति को पुलिस की हिरासत में ही कुछ समय की लिए रिहा किया जाता है। और इस प्रकार के मामलों में अलग-अलग प्रावधान है जो न्यायालय ने बनाए हैं।

गैर जमानती अपराध क्या होता है?

गैर जमानती अपराध के अंतर्गत ऐसे अपराध आते हैं। जिसमें आरोपी द्वारा किसी भी प्रकार के गंभीर प्रकृति के अपराध किए गए हो। ऐसे में इस प्रकार के अपराध के लिए न्यायालय जमानत स्वीकार नहीं करता है। लेकिन सामान्यत यह न्यायाधीश के अनुसार की तय होता है कि उसे जमानत दी जाए या नहीं! लेकिन इस प्रकार के श्रेणी में जो भी अपराध आते हैं, उनमें ज्यादातर जमानत नहीं दी जाती है।

बेल कैंसिल कौन कर सकता है?

साधारणता बेल न्यायालय द्वारा ही दी जाती है। लेकिन किसी स्थिति में भी अगर न्यायालय को ऐसा प्रतीत होता है। कि जिस व्यक्ति को बेल दी गई है और वह जमानत के नियमों का पालन नहीं करता है।तो ऐसे में वह व्यक्ति की जमानत को न्यायालय कैंसिल कर सकता है।

बेल बांड क्या होता है?

बेल बांड एक जरूरी दस्तावेज होता है जिसमे रिहा करने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी होता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको कानूनी प्रक्रिया में उपयोग होने वाले एक शब्द बेल के बारे में बताया। कि बेल क्या होती है? जमानत कितने प्रकार की होती है? तथा यदि किसी व्यक्ति को न्याय हिरासत या फिर अपराध तय होने की स्थिति में गिरफ्तार किया गया है।

तो ऐसे में वह व्यक्ति कोर्ट से किस प्रकार बिल ले सकता है? इससे संबंधित कई तथ्यों के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से समझा। आशा करते हैं इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। और यदि पसंद आई हो तो उसे अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।

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